पड़ोस की कुंवारी लड़की की चूत फाड़ चुदाई
देसी गुजराती सेक्स कहानी अहमदाबाद की है. वहां मैं किराये के घर में रहता था. मकर संक्रांति के दिन मैं पतंगबाजी देखने छत पर चला गया. साथ वाली छत पर एक जवान लड़की थी.
दोस्तो, मेरा नाम अजय है.
मेरी पिछली कहानी थी:
अचानक मिली अनजान लड़की चुद गयी
मेरी यह नई देसी गुजराती सेक्स कहानी अहमदाबाद की है.
अहमदाबाद में मेरी नई नौकरी लगी थी.
वहां मैंने रहने के लिए एक ब्रोकर के द्वारा एक अच्छी सोसाइटी में मकान ले लिया था.
वह मकर संक्रांति पर्व का दिन था, उस दिन मेरे ऑफिस की छुट्टी थी.
सभी छत पर पतंग उड़ा रहे थे.
मैं भी छत पर चला गया.
मेरे मकान मालिक की छत से पड़ोस वाली छत मिली थी, बस एक छोटी सी मुंडेर ही बीच की सीमा थी.
पड़ोस के बच्चे भी पतंग उड़ा रहे थे.
उनके साथ ही एक खूबसूरत लड़की भी थी.
उसकी उम्र यही कोई 22 या 23 की होगी.
वह शर्ट और स्कर्ट पहने हुए पतंगबाजी देख रही थी.
जब भी कोई पतंग कटती तो वह जोर से चिल्ला कर उछलती … इससे उसके बोबे उछलते.
शायद उसने ढीली ब्रा पहनी हुई थी.
यह दृश्य देख कर मेरे लंड में तनाव बढ़ता जा रहा था.
एकाध बार ऐसा भी हुआ कि किसी पतंग के कटने पर मैंने भी जोश में चिल्ला दिया.
उसी समय वह लड़की भी पूरे जोश में चिल्लाई.
अचानक से चिल्लाने के बाद उसने मेरी तरफ देखा कि ये कौन नया चिल्ला रहा है.
उसी वक्त मैंने भी उसकी तरफ देखा.
मैंने उसे अपनी तरफ देखते हुए पाया तो मैं मुस्कुरा दिया.
वह भी मेरी ओर देख कर मुस्कराने लगी थी.
अब हम दोनों बार बार चिल्लाते हुए पतंगबाजी का आनन्द लेने लगे थे.
मैं पतंगबाजी से ज्यादा उसके उछलते हुए दूध देख कर चिल्ला रहा था.
एक बार मेरे मुँह से निकल गया- वाह क्या बात है … क्या उछाले हैं यार … मजा आ गया.
वह मेरी तरफ घूर कर देखने लगी कि मैं क्या उछलने की कह रहा हूँ.
मैंने उसकी तरफ हँसते हुए देखा और आंख दबा दी.
वह भी हंस दी और उसने अपनी Antarvasna शर्ट को ठीक करके अपने मम्मों को अडजस्ट किया.
इतने में उसकी मम्मी नाश्ते की ट्रे में फाफड़ा जलेबी लेकर आईं.
उन्होंने उस लड़की को पारुल कह कर आवाज दी कि पारुल आ जा, नाश्ता कर ले.
इससे मुझे उस लड़की का नाम मालूम पड़ गया.
उसकी मम्मी नाश्ते के ट्रे देकर नीचे चली गईं.
तभी उस लड़की पारुल ने मुझे आवाज देकर अपनी छत पर बुलाया- आइए, आप भी नाश्ता कर लीजिए.
यह कह कर उसने मुझे नाश्ता ऑफर किया.
तो मैं अचकचा गया कि यह इतनी जल्दी कैसे मुझे बुला रही है.
कहीं इसने मुझे कुछ और तो नहीं समझ लिया है.
यही सब सोच कर पहले तो मैंने मना किया, पर पारुल प्लेट लेकर मुंडेर के पास आ गई.
उसने कहा- इस तरफ आ जाओ.
मैं मुंडेर पार करके उसकी तरफ चला गया.
जैसे ही मैंने प्लेट से नाश्ता उठाया, वह नाश्ता मेरे हाथ से छूट कर नीचे गिर गया.
वह झुक कर उठाने लगी तो उसकी शर्ट के गहरे खुले गले से उसके दोनों रसभरे बोबे दिख गए.
मैं अभी उसके चूचों को अपनी आंखों से Hindi Sex Story चोद ही रहा था कि वह ऊपर को उठी sex story in hindi और उठते समय उसका हाथ मेरे खड़े लंड से टच हो गया.
एकदम से मैं चिहुँक उठा.
वह मुस्करा दी.
मैंने उसको देखा तो इस बार उसने आंख मार कर अपने होंठों पर जीभ फेर कर चुदास जाहिर कर दी.
मैं सनाका खा गया कि लौंडिया एकदम शताब्दी एक्सप्रेस की तरह भागने वाली है.
वह कहने लगी- हम्म … कैसा लगा?
मैंने पहले तो कुछ नहीं कहा. फिर मैंने पूछा- क..क्या?
वह इठलाते हुए बोली- मेरे फेफड़े?
मैंने अचकचा कर फिर से पूछा- क्या?
वह हंस कर बोली- मेरी मम्मी के हाथ के बने फाफड़े कैसे लगे … यही तो पूछ रही हूँ और क्या?
मैंने कहा- तुम्हारी मम्मी का कोई जबाव नहीं है. उन्होंने अपनी बनाई हर चीज से मेरा मन मोह लिया है?
वह शायद समझ गई थी कि मैं उसके लिए कह रहा हूँ.
वह हंस कर बोली- मुझे बनाने में सिर्फ मम्मी का हाथ नहीं है. उसमें पापा का भी हा… पापा का वो भी बराबर का हिस्सेदार है.
उसके इस जबाव से मैं चारों खाने चित हो गया था.
मैंने कहा- हां सच में तुम्हारे पापा ने भी बड़ी मेहनत से तुम्हारे जैसी खूबसूरत माल को गढ़ा है.
वह और जोर से हंसी और बोली- मैं तुमको माल लग रही हूँ?
मैंने कहा- माल नहीं … मस्त माल लग रही हो.
वह बोली- अच्छा … और मैं मस्त माल कहाँ से देख रही हूँ?
मैंने कहा- कैसे sex story बताऊं?
वह अपने दूध तानती हुई बोली- जैसे बताना हो,